पात्र ―
1:- साधु (शैतान)
2:- दो लड़के (गांव वाले)
3:- राजा (king)
4:- गुरुदेव (राजा का गुरु)
5:- सलीम ( साधु का अंतक)
बहुत समय पहले की बात है ,एक बहुत ही बड़ा जंगल था जो कि एक गांव (कुँवरि) के पास था। उसी जंगल मे एक साधु भी रहता था , कुँवरि गांव के दो लड़के उसी जंगल मे बकरी चराने के लिए जाते थे। वे दोनों उसी जंगल मे एक साधु को रोज देखते थे , और उसे अपने खाने में से थोड़ा थोड़ा दे देते थे। वह साधु इतना वृद्ध था कि वह चल भी नही सकता था। उसकी इसी लाचारी पर वो दोनों लड़के उसे खाना देते थे। वह साधु बहुत - सी विद्याएं जानता था , जैसे- व्यक्ति को वश में करना आदि ।
उन दोनों लड़को के द्वारा दिये गए खाने के कारण वह साधु बढ़िया तरीके से ठीक हो गया। जब वह एकदम दुरुस्त हो गया तब उसने उसी जंगल मे अपने लिए एक कालकोठरी जैसा घर बना लिया। क्योकि अब गांव में ठंढ का मौसम आ गया था। लेकिन वो दोनो लड़के अभी भी प्रतिदिन उसी जंगल मे बकरियां चराते थे। वह जंगल तो वैसे बहुत डरावना था। लेकिन गांव के कुछ लोग नही मानते थे कि यह जंगल बहुत ही डरावना है|
एक दिन जब वे दोनों लड़के अपना खाना लेकर साधु के पास पहुचे तो देखा कि वह साधु उस स्थान पर नही है, परंतु कुछ देर बाद एक लड़के ने देखा तो उसने दूसरे लड़के से कहा- वो रहे साधु महाराज। लेकिन उन्हें क्या पता था कि कब-कौन सी घटना घट जाएगी।
अगले दिन जब साधु ने उन्ही दोनो लड़को को देख तो वो लालच में डूब गया कि उसे आज तो मांस खाने को मिलेगा। साधु के मन मे लड्डू फूटने लगे। उसने अपना वशीकरण का हथियार निकाला और उन दोनो लड़को की बकरियों के साथ साथ उनको भी वश में कर लिया।
पहले तो उसने उन बकरियो का मांस खा कर अपना पेट भर लिया, फिर अगले दिन उसने उन दोनों लड़को को भी मार कर काट के खा गया।
अब उसे लगने लगा कि इसी तरह वो मांस खाता रहेगा हो उसकी काली शक्तियां बहुत ही जल्दी दुगनी और अमर हो जायेगी।
अब वह उस गांव में जाता और एक बच्चे को रोज अपने वश में कर के लाता और उसी कोठरी में बैठ कर उनका मांस खाता। धीरे धीरे करके 1 बच्चा फिर दूसरा बच्चा , फिर तीसरा। ऐसे ही कई दोनो तक चलता रहा।धीरे धीरे गांव में से बच्चे गायब होने लगे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए गांव वाले अपने बच्चो अब बाहर नही निकलने देते थे।
एक दिन वही साधु (शैतान) भिक्षा मांगने राजा के महल में पहुच गया।
राजा ने कहा (विनम्रता से)- "बताइये महात्मा आप क्या लेंगे"।
साधु(विनम्रता से) - महाराज मुझे कुछ नही चाहिए मुझे बस उस राक्षस का खत्म चाहिए जो लोगो अपने वश में कर के उन्हें मार देता है।
राजा(विनम्रता से) - हे महात्मन " वह शैतान कहा रहता है?"
साधु(विनम्रता से) - पास ही के जंगल मे रहता है।
राजा(विनम्रता से) -आप अब प्रस्थान करें महात्मन मैं इस साधु का इलाज करता हूँ।
जब वह साधु जाने लगता है तो वह राजा की बेटी राजकुमारी मीना को अपने वश में कर लेता है, और वह से चल देता है। रात को जब साधु मीना को पुकारता है तो राजकुमारी नींद में ही चलकर उस जंगल मे पहुच जाती है और फिर उसके साथ जबरदस्ती करने के बाद उसको मार कर काट कर कहा जाता है।
राजा को जब यह खबर हुई तो वह राजकुमारी को हर स्थान पर खोजा गया और न मिलने पर राजा फुट फुट कर रोने लगा।
फिर उसने तुरंत अपने दरबान से कहकर गुरुदेव को बुलवाया।
जब गुरुदेव ने यह समस्या सुनी तो उन्हीने एक आदेश दिया कि पास के गांव से सलीम नाम के व्यक्ति को बुलाओ। राजा ने तुरंत ऐसा ही किया। उसने सलीम को बुलाया और उस घटना के बारे में विस्तार से बताया , फिर सलीम उस साधु को खोजने निकल पड़ा। कई दिनों के बाद साधु से सलीम की मुलाकात हुई। तो सलीम को देखते ही वह साधु वही गिर कर बेहोश हो गया। क्योकि सलीम के गले जो तावीज़ था वो बहुत ही शक्तिशाली था।
सलीम ने बिना देर किए राजा को सूचित किया और उस साधु को वही काल कोठरी में (महल) में बंदी बना लिया गया। जब उस साधु की आंख खुली तो वह सलीम से बदला लेने की सोचने लगा। तभी सलीम आ गया और जैसे ही साधु ने सलीम को छुआ तो वह उसी तावीज़ के प्रभाव से जलकर भस्म हो गया।
Moral of the story - tit for tat.
जैसे को तैसा।
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